राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बने महज 11 दिन बीते थे और पहली बार पटना हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान जंगल राज शब्द का जिक्र किया था। और तब से ये जंगल राज लालू राबड़ी के कार्यकाल से चस्पा हो गया।
बात 1997 की है। 25 जुलाई को राबड़ी देवी पहली बार मुख्यमंत्री बनी थी। लालू यादव चारा घोटाले में फंसे थे और उनकी कुर्सी जा रही थी। रघुनाथ झा, जगदानंद सिंह, इलियास हुसैन जैसे नेताओं के हाथ में सत्ता देने की बजाय लालू यादव ने पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता की बागडोर दी ।
राबड़ी देवी सीधे घर के आंगन से निकलकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंच गई थी। अभी राबड़ी देवी ने सियासत और सत्ता को समझना शुरू ही किया था, कि लालू यादव के कार्यकाल के दौरान पटना शहर की खराब स्थिति और नगर निगम के ठप पड़ जाने के मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस वीपी सिंह और धर्मपाल सिन्हा ने टिप्पणी की।
कोर्ट ने 5 अगस्त 1997 को कहा था कि यहां सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। भ्रष्ट अफसर सरकार चला रहे हैं। यहां जंगल राज चल रहा है। न तो कोर्ट के आदेश को माना जा रहा न जनता के हित की सुनवाई हो रही है । और फिर यहीं से जंगलराज शब्द का बिहार की सियासत में जन्म हुआ।
जो अब 27 साल बाद फिर से चुनाव प्रचार में चर्चा में आया है “जंगल राज”
1997 में कोर्ट की टिप्पणी के बाद जंगल राज शब्द को बीजेपी और समता पार्टी के नेताओं ने अपना चुनावी नारा बना लिया। बाद में अदालतों ने अलग अलग राज्यों के मामलों में इस शब्द का जिक्र किया। लेकिन जंगल राज शब्द को सियासी तौर पर राजद के शासनकाल से ही जोड़कर उसे जिंदा किया जाता है।
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