दबंगई और गुंडागर्दी का ऐसा वीडियो अक्सर सिनेमा में देखने को मिलता है। पीड़ित भी मौजूद है, पुलिस भी मौजूद है और साथ में मौजूद है दबंग प्रधान। मगर कानपुर ज़ोन के फ़तेहपुर ज़िले की कोतवाली ललौली गाँव उरौली में यह सब हक़ीक़त में देखने को मिला।
दबंग प्रधान और उसके भाई ने पहले बुजुर्ग डाक्टर सभाजीत सिंह को बेरहमी से पीटा, फिर राहत देने वाली 112 से पुलिस बुलाई गयी।वहीं किसी ने जनप्रतिनिधि साहब के साहस का वीडियो बनाया… जिसमें प्रधान जी, पुलिस की आंखों में आँखे डालके दहाड़ रहे हैं कि भविष्य में भी घायल बुजुर्ग और उसके पूरे परिवार का पूरी तरह से ख़ात्मा करेंगे और लाशें बिछा देगा। मुझे देखने से यही लग रहा है प्रधान जी कानून को मानने वाले हैं।शायद इसी वजह से वह क्या करेंगे,वर्दी की गवाही में सार्वजनिक रूप से बता रहे हैं।
दबंग प्रधान की दबंगई
वहीं कुछ लोग कह रहे हैं अब आप इसी बात से इस प्रधान की दबंगई का अंदाजा लगा लीजिए कि कानून के रखवालों को बुलाकर उनके सामने ही कानून तोड़ने की बात कर रहा है। लाशें बिछा देने की हुंकार भर रहा है।पर मुझे ऐसा नहीं लग रहा है।प्रधान जी कानून को विश्वास में लेकर काम करने वाले लग रहे हैं।तस्वीर में घायल बुजुर्ग होमियोपैथ के डाक्टर सभाजीत सिंह बताये जा रहे हैं।जो अभी भी अपनी जान बचाते घूम रहे हैं।
![दबंग प्रधान की दबंगई और गुंडागर्दी](https://thechandigarhnews.com/wp-content/uploads/2023/09/image-272-1024x498.png)
जरा अब…थोड़ा गौर फ़तेहपुर पुलिस की कार्यवाही पर भी कर लिया जाये। घटना के शुरूआती कुछ पलों तक पुलिस (विशेषकर कोतवाल साहब) न्याय की भूमिका में रहे। दोषियों को गम्भीर धाराओं में मसलन 307, 452, 186 जैसी धाराओं में जेल भेजने की गुर्राहट दिखा रहे थे। फिर न जाने कुछ ही देर में क्या हो गया। साहब ने प्रार्थना पत्र अपने तरीक़े से लिखवाया और आईपीसी की धाराओं पर मालिकाना हक़ रखने वाले विभाग के कोतवाल साहब ने मामला 323, 504, 506 में ही सिमटा दिया।धनबल और बाहुबल के सामने अच्छे- अच्छे करवट बदल लेते हैं।फिर कोतवाल हो या कप्तान किसी का क्या दोष…
कोतवाल साहब पर जो आरोप है उसे मैं लिख नहीं सकता क्योंकि उसका प्रमाण मुझे मुहैया नहीं कराया गया। वैसे भी बिन सबूत तो सब पाक साफ होते हैं। लेकिन एक बात ये भी है जिस तरह आज तक आप लोगों ने कफ़न में जेब नहीं देखी होगी, उसी तरह किसी ने रिश्वत की रशीद भी नहीं देखी होगी।
खैर,
पीड़ित डाक्टर सभाजीत अफ़सरों के पास इस बात के लिये चक्कर लगा रहे हैं कि मेरा समझौता करा दीजिये। मार खाने के बाद भी मैं माफ़ी माँग लूँगा। जिसका साथ पुलिस प्रशासन दे रही है, उससे लड़ भी नहीं पाऊँगा। उधर धनवान बलवान प्रधान जी इन लोगों को सबक़ सिखाने के लिये पुलिस की देख-रेख में पीड़ित डाक्टर साहब को खोज रहे हैं। अगर कोई बड़ी घटना कुछ घट गयी तो फ़तेहपुर पुलिस का क्या होगा पता नहीं! लेकिन सरकार की तबियत से किरकिरी होगी बिल्कुल कानपुर देहात कांड की तरह।डाक्टर साहब साँसत में मदद नहीं हो रही है।
विशेष : योगी जी आपने इस विभाग को फ़्री हैंड काम करने की छूट दे रखी हैं और उनपे खूब विश्वास कर रहे हैं, पर इसका नाजायज फ़ायदा उठा कुछ अफ़सर ख़ुद अपराधियों जैसा काम करने लगे हैं।नर्क मचा रखा है।नंगा नाच कर रहे है। कुछ ईमानदारी का सियारी चोला पहन कोई काम ही नहीं कर रहे हैं,अलग ही अंदाज़ा में अंग्रेज़ीयत अफ़सरों की तरह अपने को अलग मान कर अलग ही दुनिया बसाये हुये हैं।
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