Hyundai Motor IPO: Hyundai India भारतीय बाजार में अब तक का सबसे बड़ा IPO लॉन्च करने जा रही है। कंपनी का लक्ष्य इस IPO के जरिए 27,870.16 करोड़ रुपये जुटाने का है।

Hyundai Motor IPO: शेयर बाजार में दिलचस्पी रखने वाले निवेशक बेसब्री से एक खास IPO का इंतजार कर रहे हैं, जो ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनी Hyundai का है। Hyundai की भारतीय इकाई, Hyundai India, भारतीय बाजार में अब तक का सबसे बड़ा IPO लॉन्च करने जा रही है। कंपनी का लक्ष्य इस IPO के माध्यम से 27,870.16 करोड़ रुपये जुटाने का है।
हुंडई मोटर्स इंडिया का IPO 15 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा। अलॉटमेंट प्रक्रिया की तारीख 18 अक्टूबर निर्धारित की गई है, जबकि रिफंड प्रक्रिया 21 अक्टूबर से शुरू होगी। शेयरों का क्रेडिट 22 अक्टूबर को निवेशकों के डिमैट अकाउंट में किया जाएगा।
Hyundai Motor IPO: प्राइस बैंड क्या है?
कंपनी ने 1865 से 1960 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। लॉट साइज सात शेयरों का है, यानी निवेशकों को न्यूनतम निवेश 13,720 रुपये का करना होगा। प्राइस बैंड का मतलब है कि आपकी न्यूनतम बोली 1865 रुपये और अधिकतम बोली 1960 रुपये की होनी चाहिए।
अब जब यह सबसे बड़ा IPO होने जा रहा है, तो इससे पहले किसका था, यह जानना भी जरूरी है। इससे पहले भारतीय बाजार में सबसे बड़ा IPO LIC इंडिया लेकर आई थी। 21,000 करोड़ रुपये के साइज के साथ यह अब तक का सबसे बड़ा इश्यू था। LIC का IPO मई 2022 में भारतीय बाजार में आया था। वॉल्यूम के हिसाब से देखें तो हुंडई मोटर्स, वित्तीय वर्ष 2024 में मारुति सुजुकी के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी का मार्केट कैप लगभग 48 अरब डॉलर (4 लाख 3448 करोड़ रुपये) का है।
इंडियन मार्केट में करीब दो दशकों बाद कोई ऑटोमेकर कंपनी IPO लेकर आ रही है। इससे पहले साल 2003 में मारुति सुजुकी का IPO आया था।
अब एक और सवाल जो IPO के वक्त निवेशकों के मन में होता है, वह है ग्रे मार्केट प्राइस। यह Hyundai India के लिए चिंताजनक हो सकता है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी का ग्रे मार्केट यानी अनलिस्टेड मार्केट प्राइस लगभग 100 रुपये के आसपास चल रहा है, जो इश्यू प्राइस से केवल 5% अधिक है। हालांकि, ग्रे मार्केट केवल एक संकेत है और इसकी स्थिति लगातार बदलती रहती है।
जो लोग फाइनेंस और मार्केट की समझ रखते हैं, वे इसे अच्छे से समझ रहे हैं। मगर, अगर आपको नहीं पता कि ग्रे मार्केट, इश्यू प्राइस, लॉट आदि क्या होते हैं और IPO क्या होता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। हम आपको सब कुछ विस्तार से समझाने जा रहे हैं।
IPO क्या होता है?
IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) वह प्रक्रिया है जिसके जरिए कंपनियां अपने शेयर्स को पहली बार जनता के लिए पेश करती हैं ताकि वे पैसे जुटा सकें। इसे ऐसे समझिए जैसे सब्जी मंडी होती है, वैसे ही शेयर्स की भी मंडी होती है: स्टॉक एक्सचेंज। भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE)। इनके अलावा कुछ अन्य छोटे एक्सचेंज भी हैं, जैसे कि कलकत्ता, अहमदाबाद, इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया।
अब मान लीजिए कि एक कंपनी है जो कुछ समय से कारोबार कर रही है और अब वह अपने विस्तार के लिए पैसे जुटाना चाहती है। इसके लिए वह अपने स्वामित्व के हिस्से यानी शेयर बेचती है। जैसे ही आप कंपनी का शेयर खरीदते हैं, आप उस कंपनी में हिस्सेदार बन जाते हैं। अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो आपको मुनाफा होता है और अगर नुकसान होता है, तो आपकी हिस्सेदारी भी प्रभावित होती है।
कंपनियां इन स्टॉक एक्सचेंज में अपने शेयर बेचती हैं और हम-आप उन्हें खरीदते हैं। जब कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार में अपने शेयरों को जनता के लिए उपलब्ध कराती है, इसे IPO कहा जाता है। यह एक तरह का ऑफर होता है, जिसमें कंपनी कहती है – “शेयर ले लो, पैसे दे दो।”
कुछ प्रमुख टर्म्स:
- इश्यू प्राइस: कंपनी IPO के साथ शेयर्स का शुरुआती दाम बताती है, जिसे इश्यू प्राइस कहते हैं।
- लॉट: इसमें कम से कम कितने शेयरों को खरीदना जरूरी है, उसकी संख्या को लॉट कहा जाता है।
- लिस्टिंग प्राइस: जिस दाम पर शेयर एक्सचेंज में रजिस्टर होते हैं, उसे लिस्टिंग प्राइस कहते हैं।
- अगर लिस्टिंग प्राइस इश्यू प्राइस से कम हो, तो निवेशकों को घाटा होता है, और अधिक हो तो मुनाफा।
अब आप IPO, ग्रे मार्केट, इश्यू प्राइस और लॉट जैसी चीजों के बारे में समझ गए होंगे।
ग्रे मार्केट क्या है?
ग्रे मार्केट IPO शेयर खरीदने का एक अनौपचारिक और अनियंत्रित बाजार है। इसका सिस्टम अनाधिकृत होता है, जहां काम करने वाले ब्रोकर, ट्रेडर या सेलर कहीं भी रजिस्टर्ड नहीं होते। यहां कोई नियम-कानून नहीं होते, बल्कि लेन-देन आपसी भरोसे पर आधारित होता है। इस बाजार में निवेशक सीधे शेयर एक्सचेंज से शेयर खरीदने की बजाय दूसरे निवेशकों से IPO के शेयर खरीदते हैं।
ऐसे समझिए, जब कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार में आती है, तो वह IPO लाती है। इसे खरीदने के लिए SEBI रजिस्टर्ड ब्रोकरेज फर्म्स के पास आवेदन जमा करना होता है। लेकिन जैसे ही यह खबर फैलती है कि कोई कंपनी IPO लेकर आ रही है, निवेशक उत्साहित हो जाते हैं और अनुमान लगाने लगते हैं कि कंपनी के शेयरों की जबरदस्त डिमांड होगी। ऐसे में वे ब्रोकरेज फर्म से आवेदन करने के अलावा, किसी अन्य निवेशक से भी IPO शेयर खरीद सकते हैं।
हालांकि ग्रे मार्केट अनौपचारिक होता है, लेकिन यह एक संकेतक के रूप में काम करता है। किसी IPO के शेयर को ग्रे मार्केट में जो भाव मिल रहा होता है और जितने खरीदार होते हैं, उससे कंपनियां अंदाजा लगाती हैं कि IPO की लिस्टिंग कैसी होगी। अन्य वित्तीय बाजारों की तरह, ग्रे मार्केट में भी शेयरों के दाम डिमांड और सप्लाई के आधार पर घटते-बढ़ते हैं। अगर खरीदार ज्यादा होते हैं, तो दाम बढ़ जाते हैं, और अगर खरीदार कम होते हैं, तो दाम घट जाते हैं।
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