सी.बी.आई. की विशेष अदालत ने एक लाख रिश्वत लेने के मामले में दोषी करार पंजाब की पूर्व डी.एस.पी. राका गेरा को 6 साल की कैद और 2 लाख जुर्माने की सजा सुनाई है।
विशेष अदालत ने राका गेरा को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 7, 13(1)(डी), 13(डी) के तहत दोषी करार दिया था। हालांकि जिस बिल्डर ने रिश्वत के आरोप लगाए थे बाद में वह कोर्ट में गवाही के दौरान बयानों से मुकर गया था, लेकिन सी.बी.आई. ने कुल 49 गवाह बनाए थे। साल 2011 में राका के खिलाफ दर्ज मामले के तहत मुल्लांपुर के बिल्डर के.के. मल्होत्रा ने सी.बी.आई. को रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी। सी.बी.आई. ने ट्रैप लगा राका गेरा को खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तार किया था। तब से उसके खिलाफ ये केस चंडीगढ़ कोर्ट में चल रहा था। हालांकि करीब 5 साल तक केस के ट्रायल पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी थी। अगस्त, 2023 में रोक हटा दी गई और फिर लगातार मुकद्दमा चला। हालांकि वह जमानत पर थी, लेकिन सोमवार को कोर्ट ने जब उसे दोषी करार दिया तभी सी.बी.आई. ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था।
जज ने आदेश में कहा कि भ्रष्टाचार समाज की जड़ों और कोने-कोने में इस कद्र घर कर गया है कि लोगों में यह धारणा बनने लगी है कि किसी भी काम के लिए उन्हें किसी न किसी अधिकारी को रिश्वत देनी पड़ेगी। इसलिए ऐसे अफसर सजा में रहम के हकदार नहीं हैं। लिहाजा, 6 साल की सजा सुना दी।
राका गेरा के वकील ने कहा, काम ईमानदारी से कर रही थी
राका गेरा के वकील ने कहा कि पंजाब की पहली महिला एस.एच.ओ. थी और अपना काम ईमानदारी से कर रही थी। सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने व कुछ पुलिस अफसरों से दुश्मनी के चलते केस में फंसाया गया है। इसलिए सजा पर नरमी बरती जाए।
वहीं, सी.बी.आई. के वकील नरेंद्र सिंह ने दलील दी कि उसने ईमानदारी से ड्यूटी करने के बजाय पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार किया है। रिश्वतखोरी के ऐसे दोषी अफसरों को सख्त सजा सुनाई जानी चाहिए, जिससे कि इस तरह की मानसिकता रखने वाले दूसरे सरकारी कर्मचारियों को सबक मिल सके। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद दोषी गेरा को 6 साल की सजा सुनाई है। वहीं बात की जाए संबंधित धाराओं के तहत दर्ज मामले में 7 साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है।
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