Rajgarh Lok Sabha Election: राजगढ़ लोकसभा सीट, जो मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक अखाड़ों में से एक है, इस चुनावी मौसम में एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यहां से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह 33 साल बाद फिर से चुनावी मैदान में हैं। दिग्विजय सिंह, जिन्होंने इसी क्षेत्र से 1984 और 1991 में चुनाव जीता था, अब एक लंबे अंतराल के बाद वापस आए हैं।
वर्ष 2019 के चुनाव में उन्होंने भोपाल से लड़ा था और वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार उनका सामना भाजपा के रोडमल नागर से है, जो दो बार से इस सीट के सांसद हैं और 2019 के चुनाव में उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
https://thechandigarhnews.com/कांग्रेस के लिए चुनौती बड़ी है क्योंकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भी यहाँ की आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था और कांग्रेस की तुलना में 1,71,000 वोटों से आगे थी। इससे पहले 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने यहाँ बढ़त बनाई थी, लेकिन ताजा रुझान उनके पक्ष में नहीं हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिग्विजय सिंह के लिए यह चुनाव न सिर्फ राजगढ़ में वापसी का प्रयास है, बल्कि यह उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता को भी परखने का मौका है। दूसरी ओर, भाजपा ने मोदी सरकार के दस साल के कामकाज को आगे रखकर और रोडमल नागर की स्थानीय उपस्थिति को मजबूती से प्रस्तुत किया है।
इस चुनावी दौर में राजगढ़ की जनता के समक्ष चुनावी वादे और दावे की भरमार है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए जोर-शोर से प्रचार में जुटे हुए हैं। आगामी चुनाव परिणाम न केवल इस क्षेत्र की राजनीतिक दिशा तय करेंगे, बल्कि यह भी निर्धारित करेंगे कि दिग्विजय सिंह का राजनीतिक करियर इस नए दौर में कैसे आकार लेगा।
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