जीपीएस आधारित टोल प्रणाली (GPS Based Toll System): राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय, जिसका नेतृत्व मंत्री नितिन गडकरी कर रहे हैं, ने GPS-आधारित, दूरी-गणना टोल प्रणाली को लागू करने की योजना की घोषणा की है। यह नवीन दृष्टिकोण टोल संग्रहण के तरीके को क्रांतिकारी बनाने का वादा करता है, जिससे यात्रियों के लिए यह अधिक न्यायसंगत बनेगा।
प्रति-किलोमीटर टोल शुल्क की ओर परिवर्तन
पारंपरिक रूप से, राष्ट्रीय राजमार्गों पर निश्चित अंतराल पर टोल एकत्र किया जाता था, जिसमें वाहनों को टोल रोड पर वास्तविक दूरी की परवाह किए बिना समान राशि का भुगतान करना पड़ता था। यह प्रणाली अक्सर अक्षमताओं और शिकायतों का कारण बनती थी जब मोटर चालक छोटी दूरी तय करते थे लेकिन उन्हें पूरी टोल दर अदा करनी पड़ती थी।
इस समस्या को दूर करने के लिए, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत टोलिंग प्रणाली की ओर शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। तकनीक जैसे कि FASTag और अब GPS का उपयोग करके, NHAI एक ऐसी प्रणाली लागू करने की योजना बना रहा है जहाँ टोल की गणना यात्रा की गई सटीक किलोमीटर के आधार पर की जाती है।
नई टोल प्रणाली कैसे काम करती है
प्रस्तावित प्रणाली वाहन के नंबर को उसके एक्सप्रेसवे में प्रवेश करते समय पंजीकृत करके काम करती है। अगर वाहन एक्सप्रेसवे से सर्विस लेन का उपयोग करके बाहर निकलता है, तो उस निकास बिंदु तक तय की गई दूरी के आधार पर टोल की गणना की जाती है। वाहनों के लिए जो एक्सप्रेसवे की पूरी लंबाई तय करते हैं, अंतिम टोल बूथ पर टोल की गणना की जाती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि शुल्क केवल तय की गई दूरी के अनुरूप हो।
जीपीएस आधारित टोल प्रणाली (GPS Based Toll System) GPS-आधारित टोलिंग के लाभ
- न्यायसंगत चार्जिंग: केवल तय की गई दूरी के लिए शुल्क लगाने से, ड्राइवरों को अधिक शुल्क नहीं लगाया जाता, जिससे टोल सड़कों की स्वीकृति बढ़ती है।
- भीड़भाड़ में कमी: GPS के माध्यम से टोल की गणना के साथ, भौतिक टोल बूथों को कम किया जा सकता है, जिससे ट्रैफिक जाम कम होता है।
- बढ़ी हुई पारदर्शिता: GPS डेटा स्पष्ट और निर्विवाद रिकॉर्ड प्रदान करता है जो टोल संग्रहण में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
- पर्यावरणीय लाभ: कुशल टोल प्रणालियाँ सुचारु यातायात प्रवाह और कम वाहन उत्सर्जन को प्रोत्साहित कर सकती हैं।
कार्यान्वयन और भविष्य की संभावनाएं
NHAI ने इस प्रणाली का सफल परीक्षण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) द्वारा प्रबंधित कुछ एक्सप्रेसवे पर किया है, जिससे इसके व्यापक कार्यान्वयन की शुरुआत आशाजनक दिख रही है। GPS-आधारित प्रणाली की ओर बढ़ना वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप है जो बुनियादी ढांचे की चुनौतियों के लिए तकनीकी समाधानों पर केंद्रित हैं।
भारत जैसे देश में जहाँ सड़क नेटवर्क निरंतर विस्तार पा रहा है, टोल संग्रहण के लिए उन्नत तकनीकों जैसे कि GPS का एकीकरण सड़क यात्रा की दक्षता को काफी बढ़ा सकता है, जिससे यह लाखों सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए तेज, अधिक न्यायसंगत और अधिक लागत प्रभावी बन सकता है। यह पहल न केवल सरकार की परिवहन को आधुनिक बनाने की प्रतिबद्धता को उजागर करती है बल्कि सड़क अवसंरचना के प्रबंधन में एक नया मानक भी स्थापित करती है।
NHAI द्वारा प्रबंधित राजमार्गों पर तकनीकी रूप से संचालित, दूरी-आधारित टोल संग्रहण प्रणाली की ओर यह बदलाव भारत के सड़क परिवहन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो एक ऐसे भविष्य का वादा करता है जहाँ सड़क यात्रा केवल अधिक न्यायसंगत ही नहीं होगी बल्कि आज के मोटर चालकों की जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुरूप भी होगी।
अब एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर एनएचएआई वसूलेगा टोल
एनएचएआई के हाईवे पर अब एक्सप्रेस वे की तरह टोल वसूलने की तैयारी है। जितने किलोमीटर की हाईवे पर चलेंगे, उसी आधार पर टोल अदा करना पड़ेगा। अभी एनएचएआई के राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर 60 किमी. पर एक टोल प्लाजा को मानक है। लिहाजा वाहन 60 किमी चले या फिर छह किलोमीटर उसे पूरा टोल अदा करना पड़ता है। केंद्रीय परिवहन मंत्री ने इसकी घोषणा की थी। इसके बाद सड़क एवं परिवहन मंत्रालय नए सिस्टम लागू करने की तैयारी में है। एनएचएआई के फास्टैग से औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के एक्सप्रेस-वे पर प्रति किलोमीटर की दर से टोल टैक्स लेने का सफल परीक्षण चल रहा है।
एक्सप्रेस-वे पर प्रति किमी की दर से टोल : एक्सप्रेस-वे पर चढ़ते ही फास्टैग लगे वाहन से टोल नहीं कटता है। शुरुआती टोल पर वाहन नंबर स्कैन होता है। वाहन को अगर बीच में कहीं सर्विस लेन से एक्सप्रेस वे से उतरना है, तो सर्विस लेन पर लगे यूपीडा के बैरियर पर शुरुआती टोल पर रजिस्टर्ड हुआ वाहन नंबर प्रदर्शित होता है। वहां से सर्विस लेन की दूरी के हिसाब से प्रति किमी की दर से टोल कट जाता है।
अगर वाहन एक्सप्रेस-वे की पूरी दूरी तय करता है तो उसके अंतिम टोल पर टैक्स कटता है। एनएचएआई के फास्टैग से यूपीडा के एक्सप्रेस वे का टोल वसूल लिया जाता है। जबकि एनएचएआई के टोल प्लाजा पर सफर शुरू करते ही फास्टैग से टैक्स ले लिया जाता है।
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