
लुधियाना समाचार : किसान आंदोलन का असर अब कारोबार पर पड़ना शुरू हो गया है। 2 दिनों में ही लुधियाना के अंदर 4 हजार से ज्यादा ट्रकों के पहिए थम गए हैं। इनमें करोड़ों रुपए का कपड़ा, अलोहा, हैंडटूल, सिलाई मशीनें और स्पोर्ट्स गुड्स जैसी आइटमें भरी पड़ी हैं, जो दिल्ली के रास्ते से होते हुए गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और कोलकाता को जानी हैं
किसान आंदोलन की वजह से ट्रक मालिकों की सबसे ज्यादा समस्या बढ़ गई है। खास तौर पर जिन ट्रक मालिकों ने गाड़ियों में माल भर रखा है अब वह न तो उसे ग्राहकों को वापस कर सकते हैं और न ही उनका माल अब गंतव्य तक पहुंचा सकते हैं, इसलिए उन्होंने भरे हुए ट्रैकों को ट्रांसपोर्ट नगर में एक साइड पर लगाकर खड़ा कर दिया है।
हालांकि ट्रक बठिंडा से होते हुए महाराष्ट्र को जा सकते हैं लेकिन रास्ता लंबा पड़ने की वजह से ट्रक का खर्चा दोगुना पड़ेगा और ग्राहक इतने पैसे देने को तैयार नहीं हैं।उधर, जिन कंपनियों ने दूसरे राज्यों में भेजने के लिए ट्रकों में माल लोड करवा रखा है उनकी भी समस्या काफी बढ़ गई है।
मौसम के बदलते मिजाज के कारण मॉइश्चर काफी अधिक आता है जिससे स्पोर्टस गुड्स की आइटम्स खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इन कंपनियों के मालिक भी काफी चिंतित हैं। हालांकि लोहे का जी सामान ट्रकों में भरा पड़ा है उस पर कोई भी मौसम का असर नहीं दिखाई देगा, इसीलिए यह कारोबारी कुछ आराम से बैठे जरूर हैं लेकिन इन्हें भी इस बात की चिंता हैं कि अगर समय पर माल गताया है तक नहीं पहुंचा तो ग्राहक भविष्य में खराब हो सकता है।
चैंबर के प्रधान उपकार सिंह आहूजा कहते हैं कि अगर यह आंदोलन लंबा चला तो उन्हें डिस्पैच के साथ-साथ उत्पादन भी धीमा करना पड़ेगा। इसका सीधा असर कंपनियों में काम करने वाली लेबर पर भी पड़ेगा।
ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर बोले- आंदोलन लंबा खिंचा तो खाने के पड़ जाएंगे लाले
इस संबंधी जब ट्रांसपोर्टर सुरेंद्र सिंह अलवर और गुरप्रीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनकी ट्रांसपोर्ट की करीब 50 गाड़ियां एक लाइन में खड़ी हैं जो कि कहीं भी जाने के लायक नहीं है और इन सभी में माल भरा पड़ा हैं।
जिन कंपनियों का माल है, उन्हें कहा जाता है कि अगर इसे दूसरे लंबे रास्ते से भेज दिया जाए तो क्या वह इसका अधिक किराया अदा करेंगे तो वह इस पर साफ इंकार करते हैं इसलिए ट्रकों को ट्रांसपोर्ट नगर में लाकर खड़ा कर दिया गया है।
ट्रांसपोर्टर का ट्रक एक या दो दिन के लिए बिना काम के खड़ा हो जाए तो उसे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उसे हर महीने किस्त अदा करनी होती है। अब अगर आंदोलन लंबा चला तो इस महीने की किस्त जेब से भरनी पड़ेगी। दूसरी ओर दिहाड़ीदार मजदूरों और ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि अगर यह आंदोलन लंबा खिंचा तो उन्हें खाने-पीने के लाले पड़ जाएंगे।
More Stories
India Appears Grander from Space, Says Astronaut Shubhanshu Shukla in Video Call with PM Modi
Calcutta Law College Gang Rape Case: Police Arrest Security Guard, Fourth Accused in Shocking Campus Crime
Hyderabad Couple Arrested for Live Streaming Sexual Acts on Mobile App to Earn Easy Money