Jammu and Kashmir President’s rule withdrawn : 2018 में, तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे होने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया था।

Jammu and Kashmir President’s rule withdrawn: जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है, जिससे केंद्र शासित प्रदेश में नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। केंद्र सरकार ने 13 अक्टूबर को एक आधिकारिक आदेश जारी कर इसकी जानकारी दी। इससे पहले, 11 अक्टूबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर नई सरकार बनाने का दावा किया था। हाल ही में वहां विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं।
भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक आदेश में कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 और 239ए, तथा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) की धारा 73 का उपयोग करते हुए, 31 अक्टूबर 2019 के आदेश को मुख्यमंत्री की नियुक्ति से ठीक पहले रद्द कर दिया जाएगा। यह आदेश जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के संदर्भ में लागू किया गया है।

10 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल का नेता चुना गया, जिससे उनके मुख्यमंत्री पद के दूसरे कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त हो गया है। उनका पहला कार्यकाल 2009 से 2014 तक रहा, जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य था और एनसी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी।
Earlier this evening, Chief Minister-designate @OmarAbdullah called on the Honorable Lieutenant Governor of Jammu and Kashmir, @manojsinha_ , at the Raj Bhawan in Srinagar to stake his claim to form the next government in Jammu and Kashmir. He also submitted all the letters of… pic.twitter.com/IHo3FLTFdW
— JKNC (@JKNC_) October 11, 2024
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को केवल छह सीटें मिलीं—कश्मीर में पांच और जम्मू में एक। वहीं, भारतीय जनता पार्टी 29 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। यह चुनाव, जो तीन चरणों में संपन्न हुआ, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद का पहला चुनाव था।
गौरतलब है कि 2018 में, तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे होने के बाद जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू किया था। उसी साल जून में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिरने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया था।
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