बांदा में तैनात सिविल महिला जज ने माँगी इच्छा मृत्यु, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मांगा इच्छा मृत्यु की अनुमति
बाराबंकी में तैनाती के दौरान जिला जज द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रतारणा , रात में मिलने को कहना आदि से तंग आ कर लगातार शिकायत करने पर कोई सुनवाई न होने से निराश होकर मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी और अपनी जिंदगी खत्म करने की अनुमति मांगी !!
महिला जज ने लेटर में लिखा- ‘मुझे एक चलती-फिरती लाश बना दिया गया है। इस प्राणहीन निर्जीव शरीर को अब ढोने का कोई मकसद नहीं है। मैं बड़े उत्साह से न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी कि इससे आम लोगों को न्याय मिलेगा। मुझे क्या पता था कि मैं जिस भी दरवाजे पर जाउंगी, मुझे न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा। POSH एक्ट (वर्कप्लेस पर उत्पीड़न एक्ट) हमसे बोला गया एक बड़ा झूठ है। कोई नहीं सुनता’
बांदा में महिला सिविल जज के इच्छामृत्यु मांगने के मामले में सियासत तेज हो गई है. शनिवार को कांग्रेसियों ने राज्यपाल से महिला जज को न्याय देने की मांग की है. जिलाध्यक्ष सीमा खान कहा कि सरकार नारा देती है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ. अब बेटी पढ़ लिखकर जज बन गई. मगर, खुद के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई और न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रही है.
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