आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI

AI ने बदले अपराध के तरीके, कहीं बम की अफवाह, कहीं किडनैपिंग को दिया अंजाम

China News: AI की मदद से अपराधियों के वारदात को अंजाम देने का तरीका भी बदल गया है. . लिहाजा, अब अपराध रोकने के लिए पुलिस को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.. साइबर एक्सपर्ट भी इसे लेकर परेशान हैं. उनका कहना है कि हर अपडेट के बारे में लोग जानकारी रखकर ही धोखेबाजी से बच सकते हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI

जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI के एडवांस वर्जन आते जा रहे है, वैसे- वैसे साइबर क्राइम की दुनिया में अपराधों को अंजाम देने का तरीका भी बदल रहा है. इसे लेकर अब एक्सपर्ट भी चिंता जाहिर करने लगे हैं. दिल्ली के साइबर एक्सपर्ट साक्षर दुबे ने इससे निपटने के तरीकों के बारे में बताया.

उन्होंने कहा कि AI को वैसे तो लोगों का मदद के लिए विकसित किया जा रहा है, लेकिन इसका दुरुपयोग क्राइम में ज्यादा हो रहा है. Chat GPT चैट बोट के आने के बाद इसे साइबर की दुनिया में एक नया मोड़ माना जा रहा था कि चैट GPTआने के बाद काम करने का तरीका बहुत आसान हो जाएगा. 

AI फेस स्वैपिंग से ठगी, वीडियो कॉल पर दोस्त का चेहरा रखकर 5 करोड़ का लगा दिया चूना

AI Fraud In China:

चीन में एक ठग ने AI फेस स्वैपिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल पर एक शख्स को 5 करोड़ का चूना लगा दिया. स्कैमर ने डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल कर पीड़ित का दोस्त बनकर उससे यह ठगी की. दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में डीपफेक का इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी साइबर ठगों के काफी काम आ रही है.

हाल ही में चीन के एक शख्स ने एआई फ्रॉड में फंसकर लगभग 5.15 करोड़ रुपये गंवा दिए. एआई से एक फर्जी व्हिडियो कॉल तैयार की गई. ऐसा करके स्कैमर्स ने इस शख्स को चंगुल में फंसाया. AI डीपफेक टेक्नोलॉजी से इस शख्स को पैसा ट्रांसफर करने के लिए तैयार किया गया. ये घटना बताती है कि डीपफेक और एआई से किस तरह लोगो को फंसाया जा रहा है, और धोखाधड़ी भी हो रही है. आइए देखते हैं कि ऐसे फ्रॉड से कैसे बचा जा सकता है.कर लोग नकली तस्वीरें और वीडियो को असली करके दिखाते हैं और ठग ने इसी का फायदा उठाया.

चीन का केस दिखाता है कि साइबर क्रिमिनल्स फ्रॉड करने के लिए कितनी सफाई से एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. डीपफेक टेक्नोलॉजी से सिचुएशन और भी ज्यादा खराब हो जाती है. डीपफेक से सबकुछ असली जैसा लगता है और लोग नकली चीजों पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं और नुकसान उठाते हैं.

दोस्त के नाम पर वीडियो कॉल

पीड़ित शख्स के पास उसके दोस्त के नाम से वीडियो कॉल आई. ये कॉल साइबर अपराधी कर रहे थे. साइबर ठग ने AI डीपफेक फेस स्वैपिंग टेक्नोलॉजी के जरिए पीड़ित के दोस्त का नकली चेहरा बनाकर वीडियो कॉल पर बात की. उसने पीड़ित शख्स को यकीन दिला दिया कि वो उसका दोस्त ही है. पीड़ित ने भी दोस्त समझकर लगभग 5.15 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए.

ऐसे लगा फ्रॉड का पता

पीड़ित को ठगी का तब अहसास हुआ जब उसके दोस्त ने ऐसी किसी भी वीडियो कॉल या 5.15 करोड़ रुपये की लेनदेन की जानकारी से इनकार कर दिया. 

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