भारत के 24 से अधिक राजनीतिक दलों ने आगामी लोकसभा चुनाव में Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए जुलाई में एक गठबंधन बनाया था.

इस गठबंधन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ-साथ तमाम क्षेत्रीय दल शामिल थे. इसका नाम INDIA गठबंधन रखा गया जिसका पूरा नाम ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव एलायंस’ था. इस गठबंधन की सफलता क्षेत्रीय दलों के बीच एकजुटता और सीट बंटवारे से जुड़े समझौते पर टिकी थी. ताकि एक सीट पर एक उम्मीदवार उतारकर BJP को कड़ी टक्कर दी जा सके.
ऐसे में एक बंटा हुआ विपक्ष हमेशा सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाता है. साल 2019 के आम चुनाव में Prime Minister Narendra Modi की पार्टी को 37 फीसद वोट मिले थे जिसके दम पर वह 543 सीटों में से 303 सीट जीतने में सफल हुए.
लेकिन इंडिया गठबंधन अपनी शुरुआत के छह महीने बाद ही बिखरता नज़र आ रहा है. इस दिशा में सबसे ताजा झटका क्षेत्रीय नेता Nitish Kumar हैं जिन्होंने बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. Nitish Kumar ने अब से मात्र 18 महीने पहले अपनी पार्टी के साथ बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA से किनारा किया था.
अब बीजेपी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के साथ मिलकर बिहार की चालीस लोकसभा सीटों को जीतने की कोशिश करेगी. भारत की राजनीति में दलबदल कोई नयी बात नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार की ओर से मिले इस झटके ने कई लोगों को हिलाकर रख दिया है. क्योंकि उन्हें एक वक़्त इंडिया गठबंधन के पीएम उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था.
Nitish Kumar ने INDIA गठबंधन को चौंकाया

भारतीय राजनीति पर शोध करने वाले जाइल्स वेर्नियर कहते हैं, “उनका जाना INDIA गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका है. इससे एक संकेत ये भी मिलता है कि गठबंधन चल नहीं रहा है.” यही काफ़ी नहीं है. INDIA गठबंधन से जुड़े दो अन्य दलों आम आदमी पार्टी और टीएमसी के नेता अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने भी INDIA गठबंधन से किनारा कर लिया है.
दूसरे शब्दों में कहें तो दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे की संभावना नहीं है. इस गठबंधन में ये सब एक ऐसे वक़्त हो रहा है जब मोदी बेहद मजबूत स्थिति में नज़र आ रहे हैं. बीजेपी ने दिसंबर में ही छत्तीसगढ़, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे अहम हिंदी भाषी राज्यों के विधानसभा चुनावों में धमाकेदार अंदाज़ में जीत दर्ज की है.
इसके बाद जनवरी में नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करके आगामी चुनाव के लिए एक तरह से बिगुल फूंक दिया है. दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च से जुड़े राहुल वर्मा कहते हैं, “दिसंबर के बाद बीजेपी के लिए स्थितियां काफ़ी बद गयी हैं. आगामी चुनाव के लिहाज़ से बीजेपी के लिए हालात बेहतर नज़र आ रहे हैं.”
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