नसरीन शेख: खो-खो भारत का एक पारंपरिक और मैदानी खेल है, जिसे गली कूचे का खेल भी मानते है। आज हम खो-खो खिलाड़ी नसरीन शेख के कामयाबी के सफर पर एक नजर डालेंगे जिन्हें हाल ही में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। नसरीन के पिता दिल्ली में फेरी लगाकर बर्तन बेचते हैं। नसरीन का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा, बावजूद इसके नसरीन ने कभी हिम्मत नहीं हारी और खो-खो का रास्ता चुना।
नसरीन का जन्म बिहार के अररिया जिले के एक छोटे से गांव जोगबनी में हुई। नसरीन के पिता मो. गफूर शेख नेपाल के बिराटनगर के स्टील फैक्ट्री में काम करते थे लेकिन बेटी के खो-खो के प्रति लगन और उत्साह को देख वह पूरे परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गए और मजदूरी करने लगे। नसरीन ने न सिर्फ अपने सपनों को बल्कि पिता के उम्मीदों को भी पूरा किया।
नसरीन शेख पहली बार वर्ष 2016 में इंदौर में हुए खो-खो चैम्पियनशिप के लिए चुनी गई थी। साल 2018 में लंदन में खेले गए खो-खो चैम्पियनशिप टूर्नामेंट में पहली भारतीय खो-खो खिलाड़ी के रूप में चयनित हुई थी। नसरीन की कप्तानी में साल 2019 में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में भारत ने गोल्ड मेडल जीता था। नसरीन की कहानी एक सशक्त और प्रेरणादायक है, जो हर किसी को उम्मीद और हिम्मत देती है विशेष रूप से मुस्लिम लड़कियों के लिए।
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