गांधी शांति अवार्ड की शुरुआत 1995 में हुई थी. केंद्र सरकार की तरफ से यह पुरस्कार महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति याद के तौर पर सालाना स्तर पर दिया जाता है. इस अवार्ड के तहत एक करोड़ रुपये की रकम, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका प्रदान की जाती है.
गीता प्रेस, गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार (Gita Press) दिया जाएगा. बीते 18 जून को यह घोषणा की गई. इस प्रकाशन को यह पुरस्कार ‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में योगदान’ के लिए दिया जाएगा. केंद्र सरकार की तरफ से आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है.
PIB की प्रेस रिलीज के मुताबिक, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल ने विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता प्रेस को पुरस्कार के लिए चुने जाने के लिए बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर लिखा,
I congratulate Gita Press, Gorakhpur on being conferred the Gandhi Peace Prize 2021. They have done commendable work over the last 100 years towards furthering social and cultural transformations among the people. @GitaPress https://t.co/B9DmkE9AvS
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2023
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर, कांग्रेस ने उठाए सवाल
इधर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने गीता प्रेस गोरखपुर को महात्मा गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया है. पार्टी ने कहा है कि यह गोडसे और सावरकर को सम्मान देने जैसा है. कांग्रेस पार्टी के सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा,
“साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर के गीता प्रेस को दिया जा रहा है, जो कि अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. अक्षय मुकुल की 2015 में आई एक बहुत अच्छी जीवनी है. इसमें उन्होंने इस संगठन के महात्मा के साथ तकरार भरे संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया गया है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और ये सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.”
The Gandhi Peace Prize for 2021 has been conferred on the Gita Press at Gorakhpur which is celebrating its centenary this year. There is a very fine biography from 2015 of this organisation by Akshaya Mukul in which he unearths the stormy relations it had with the Mahatma and the… pic.twitter.com/PqoOXa90e6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 18, 2023
ISRO को मिल चुका है ये पुरस्कार
गांधी शांति अवार्ड की शुरुआत 1995 में हुई थी. केंद्र सरकार की तरफ से यह पुरस्कार महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति याद के तौर पर सालाना स्तर पर दिया जाता है. इस अवार्ड के तहत एक करोड़ रुपये की रकम, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका प्रदान की जाती है. पिछले पुरस्कार विजेताओं में ISRO, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र (बेंगलुरु), एकल अभियान ट्रस्ट (भारत) और सुलभ इंटरनेशनल (नई दिल्ली) जैसे संगठन शामिल हैं. वहीं साल 2019 ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद और 2020 में बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
बताते चलें कि साल 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक मानी जाती है. इस प्रेस ने अब तक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित कर नया रिकार्ड बनाया है. इनमें से श्रीमद्भगवद्गीता की 16.21 करोड़ कॉपियां शामिल हैं.
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