SEBI: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कुछ ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म, ऐप, और वेबसाइटों पर वर्चुअल लेनदेन सेवाओं या फंतासी गेम के बारे में पाया कि ये सूचीबद्ध कंपनियों के वास्तविक समय के शेयर मूल्यों के उतार-चढ़ाव पर आधारित हैं।
कुछ प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल शेयर पोर्टफोलियो के प्रदर्शन के आधार पर मौद्रिक प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। इसके अलावा, वर्चुअल ट्रेडिंग में शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए असली मुद्रा का इस्तेमाल नहीं हो रहा था। ये ऐप बिल्कुल डब्बा ट्रेडिंग के समान काम कर रहे हैं, जिससे शेयर बाजार के निवेशकों के लिए खतरे पैदा हो सकते हैं।
इसी आकलन के आधार पर, पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के वास्तविक समय के मूल्य आंकड़ों को विभिन्न प्लेटफॉर्मों सहित तीसरे पक्ष के साथ साझा करने के लिए मानदंड जारी किए हैं।
सेबी (SEBI) ने इन ऐप्स को नियंत्रित करने के लिए शेयर बाजारों और डिपॉजिटरीज के लिए निर्देश जारी किया है। सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरीज को कहा है कि वे किसी भी शेयर की कीमत खासकर रियल टाइम प्राइस के डेटा को थर्ड पार्टी के साथ शेयर न करें।
सेबी (SEBI) का कहना है- अगर डेटा का इस्तेमाल एजुकेशन या मनोरंजन के लिए हो रहा है, तब तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर मौद्रिक लाभ दिए जाते हैं, तब ठीक नहीं है। तब यह डब्बा ट्रेडिंग के जैसा हो जाता है, जो कि अवैध है।
SEBI: ऐसे काम करती है वर्चुअल ट्रेडिंग
बाजार में ऐसे कई ऐप मौजूद हैं, जो गेमिंग ऐप की श्रेणी में सूचीबद्ध हैं। ये ऐप शेयर बाजार के रियल टाइम के डेटा का इस्तेमाल कर यूजर्स को वर्चुअल ट्रेडिंग की सुविधा देते हैं। वर्चुअल ट्रेडिंग में शेयरों की खरीद-बिक्री का खेल होता है।
वर्चुअल ट्रेडिंग के पीछे ऐप व अन्य प्लेटफॉर्म शैक्षणिक व मनोरंजन के उद्देश्यों का हवाला देते हैं। उनका कहना होता है कि इस तरह से वर्चुअल ट्रेडिंग की. सुविधा देकर वे लोगों को शेयर बाजार के बारे में और ट्रेडिंग के बारे में शिक्षित करते हैं। कई सारे ऐप शेयरों की वर्चुअल ट्रेडिंग के साथ नकद लाभ जोड़ देते हैं। सेबी को इसी बात से आपत्ति हुई है।
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