फिल्म सत्यप्रेम की कथा में उनके कलाकारों और दर्शकों से कुछ दिलचस्प सवाल पूछे गए हैं। हालांकि दर्शको के दिल में गहराई से नहीं उतर पाती.

Satyaprem Ki katha (सत्यप्रेम की कथा) शुक्रवार को रिलीज़ हो चुकी है.
हिंदी भाषा की रोमांटिक ड्रामा फिल्म है , जो एक परेशान विवाह के बारे में है,
जिसमें कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी मुख्य नायक हैं। इस कहानी का हीरो है सत्यप्रेम. एक गुजराती नासमझ, दयालु और नेक लड़का है’ प्यार से लोग उसे सत्तू भी बुलाते. बस कोई प्यार से बात नहीं करता. जो कथा से शादी करने के लिए उत्सुक है, कथा एक प्रसिद्ध व्यवसायी हरिकिशन की बेटी है।फिल्म की शुरुआत में ही क्लियर हो जाता है कि सत्तू की एक ही तमन्ना है उसे शादी करनी है. कथा नाम की एक लड़की मिली भी थी.
लेकिन तब बात नहीं बन पाई. सत्तू के सपने अप्रत्याशित रूप से सच हो जाते हैं.जब कथा के माता-पिता उसके घर पहुंचते हैं और सत्तू से शादी के लिए हाथ मांगते हैं।कथा अमीर घराने से आती है. उसकी सत्यप्रेम जैसे लड़के से शादी कैसे हो गई. वो उसे प्यार नहीं करती थी.ऊपर से उसने कभी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की. ये शादी किस वजह से हुई.
कथा को अपने प्यार में फंसाने और अपनी शादी को बनाए रखने की सत्तू की कोशिश
अंत में खुद को एक योग्य पति साबित करने में सफल होती है की नहीं यही कहानी का ट्वीस्ट है.हालांकि दूसरा हाफ में फिल्म अपनी ग्रिप पकड़ लेती है. कहानी के लिहाज़ से अहम चीज़ों को ही जगह मिलती है. फिल्म कुछ सवाल उठाने की कोशिश करती है. जैसे एक सफल शादी में सेक्स की कितनी जगह है. एक रिश्ते में किसी की भी ‘ना’ के क्या मायने हैं. एक हिंदी फिल्म होने के नाते ये इन पहलुओं में गहराई से नहीं उतरती. बस उनके बारे में छू कर निकल जाती है. फिल्म खत्म होने के बाद मेरा पहला रिएक्शन था कि इससे कार्तिक आर्यन ने बहुत अच्छा काम किया है.
कार्तिक ने यहां सही काम किया है.
”सत्तू” बिना सोचे बोलने वाला लड़का है. नासमझ, दयालु और नेक लड़का है मानता है कि सच बोलने से पहले सोचना क्या. . कार्तिक उसकी शराफत को कैरी भी कर पाते हैं. हालांकि कुछ जगह सत्यप्रेम की जगह कार्तिक आर्यन भी दिखता है. और ऐसा जानबूझकर भी किया गया. जैसे एक जगह ‘प्यार का पंचनामा’ से मिलता-जुलता मोनोलॉग देने लगता है.
इन बातों को नज़रअंदाज़ करें कार्तिक ने यहां सही काम किया है. यहां देखकर लगा कि वो बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं.फिल्म का नाम भले ही ‘सत्यप्रेम की कथा’ है. सब कुछ सत्यप्रेम की दुनिया में घट रहा है. लेकिन कहानी की हीरो कथा है. अंत के एक सीन में ये साफ भी हो जाता है जब सत्तू उसका तारणहार बनने की कोशिश नहीं करता. वो उसकी कहानी का सपोर्टिंग हीरो बनता है. कथा बनी कियारा अपने कैरेक्टर को समझती हैं. कंट्रोल में दिखती हैं.
जो इमोशन वो अपने हावभाव के ज़रिए दिखाती है वो आप तक पहुंचते हैं. डांस वगैरह वो सही कर लेती हैं. लेकिन इन सब के पार वो अच्छी एक्टर हैं.‘सत्यप्रेम की कथा’ के पास अपने स्वीट मोमेंट्स हैं.
गजराज राव और सुप्रिया पाठक के कार्तिक आर्यन के साथ कुछ सीन हैं जो चमक के आते हैं. हां, कुछ मौकों पर कहानी खींची भी है. लेकिन इस सब के बावजूद फिल्म के पास प्लस पॉइंट ज़्यादा हैं. मुझे ओवरऑल ये सही फिल्म लगी.
More Stories
Storm Over ‘Jaat’: Sunny Deol, Randeep Hooda Land in Legal Trouble Over Alleged Hurt to Religious Sentiments
Jaya Bachchan Rekha Amitabh Love Triangle: “Amitabh Is Mine”: When Jaya Bachchan Confronted Rekha Over Lunch — The Untold Story Behind Silsila
Top Bollywood Celebrity Divorces in 2025