Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर 2024 के चुनाव में स्थिति बेहद दिलचस्प हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला है, जबकि जाट और दलित वोटर चुनाव परिणाम में अहम भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा ने पिछले कुछ हफ्तों में अपनी स्थिति में सुधार किया है, खासकर जाट बाहुल्य बागड़ बेल्ट और जीटी रोड बेल्ट में, जहां पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। हालांकि, पार्टी के लिए भीतरघात और बागियों से निपटना चुनौतीपूर्ण है।
कांग्रेस, जो पहले मजबूत स्थिति में थी, पिछले कुछ हफ्तों में अपने ग्राफ में गिरावट देख रही है। मेवात, बांगर और जाटलैंड जैसे इलाकों में कांग्रेस की स्थिति बेहतर है, लेकिन कुछ सीटों पर करीबी मुकाबले की स्थिति बनी हुई है। पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी भी चुनाव में उसके लिए परेशानी का सबब बन रही है।
थर्ड प्लेयर के रूप में इनेलो-BSP, निर्दलीय और आम आदमी पार्टी की भी कुछ सीटों पर अहम भूमिका हो सकती है, खासकर उन सीटों पर जहां भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार कमजोर हैं। राम रहीम की पैरोल से भाजपा को कुछ सीटों पर फायदा मिलने की उम्मीद है, जबकि कांग्रेस ने इसका विरोध किया था।
कुल मिलाकर, चुनाव का नतीजा कई सीटों पर करीबी रहेगा और साइलेंट वोटर्स और थर्ड प्लेयर्स के वोट से अंतिम फैसला होगा।
पार्टी | मज़बूत सीटें (रेंज) |
---|---|
कांग्रेस | 40 – 50 |
भाजपा | 22 – 32 |
इनेलो-बसपा गठबंधन | 1 – 5 |
निर्दलीय | 4 – 9 |
आप | 0 – 1 |
जेजेपी-एएसपी गठबंधन | 0 – 1 |
Haryana Assembly Elections 2024: चुनावी परिणाम प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- जाट-दलित वोट बँटवारा: यह एक प्रमुख कारक होगा जो कई करीबी मुकाबलों की दिशा तय करेगा।
- मौन वोटरों का प्रभाव: अंतिम समय में वोटरों का निर्णय खासकर बीजेपी के लिए समीकरण बदल सकता है।
- राम रहीम फैक्टर: चुनाव से पहले पैरोल पर रिहा, यह फैक्टर लगभग दो दर्जन सीटों पर असर डाल सकता है, जो बीजेपी को मदद कर सकता है।
हरियाणा के प्रमुख राजनीतिक क्षेत्र और उनका महत्व
क्षेत्र | ज़िले | कुल सीटें | राजनीतिक गतिशीलता और प्रमुख खिलाड़ी | 2014 परिणाम | 2019 परिणाम | 2024 पूर्वानुमान (विशेष) |
---|---|---|---|---|---|---|
जीटी रोड बेल्ट | 6 ज़िले | 23 सीटें | गैर-जाट वोटरों का प्रभुत्व; पारंपरिक रूप से बीजेपी का गढ़ | 21 सीटें बीजेपी | 12 सीटें बीजेपी | जाट वोटरों की नाराज़गी के कारण कुछ सीटों पर कांग्रेस का पलड़ा भारी |
दक्षिण हरियाणा | गुड़गांव, मेवात, पलवल | 17 सीटें | शहरी और ग्रामीण मिश्रण; गैर-जाट मतदाताओं का प्रभाव | 9 सीटें बीजेपी | 8 सीटें बीजेपी | भाजपा-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर, निर्दलीयों का भी अहम रोल |
जाटलैंड | हिसार, भिवानी, रोहतक | 28 सीटें | जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में; कांग्रेस और जेजेपी का मुख्य गढ़ | 7 सीटें बीजेपी | 10 सीटें बीजेपी | कांग्रेस और इनेलो-बसपा गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला |
Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा के प्रमुख क्षेत्रों का राजनीतिक मानचित्र
- जीटी रोड बेल्ट (कुरुक्षेत्र, अंबाला, करनाल, पानीपत, सोनीपत, यमुनानगर)
- यहाँ बीजेपी की पकड़ मज़बूत है, खासकर शहरी क्षेत्रों में।
- गैर-जाट मतदाता और व्यापारिक वर्ग भाजपा का समर्थन करते रहे हैं।
- दक्षिण हरियाणा (गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल, मेवात)
- शहरी क्षेत्र गुड़गांव और फरीदाबाद में बीजेपी का प्रभाव अधिक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस और निर्दलीय प्रभावी हैं।
- मेवात क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करती है।
- जाटलैंड (रोहतक, भिवानी, हिसार)
- जाट मतदाताओं की अधिक संख्या कांग्रेस और जेजेपी को लाभ देती है।
- इनेलो का भी यहाँ पारंपरिक प्रभाव है, लेकिन पार्टी कमजोर हो चुकी है।
हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य इस बार जटिल और प्रतिस्पर्धात्मक है। जाट-दलित वोटरों का विभाजन और राम रहीम फैक्टर चुनाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर
- राम रहीम फैक्टर
- डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख, गुरमीत राम रहीम सिंह की पैरोल चुनाव के समय दी गई, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी को इसका लाभ मिल सकता है।
- राम रहीम के अनुयायी हरियाणा के कई हिस्सों में खासा प्रभाव रखते हैं, खासकर सिरसा, फतेहाबाद और हिसार क्षेत्रों में।
- इन क्षेत्रों में लगभग दो दर्जन सीटें हैं, जहां राम रहीम फैक्टर निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
- जेजेपी और कांग्रेस का संभावित गठबंधन
- जेजेपी और कांग्रेस के बीच एक संभावित गठबंधन की चर्चाएँ चल रही हैं। हालांकि, इसे लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन अगर ऐसा गठबंधन होता है, तो इसका व्यापक प्रभाव चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा।
- जाटलैंड में दोनों पार्टियों के बीच वोटों का बँटवारा कांग्रेस के लिए चुनौती हो सकता है, लेकिन गठबंधन से यह असर कम हो सकता है।
- किसानों की भूमिका
- पिछले कुछ वर्षों में कृषि कानूनों के खिलाफ चले किसान आंदोलन का असर हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जा सकता है।
- जाट समुदाय के किसान, जिनका विरोध आंदोलन के दौरान प्रमुख रहा, कांग्रेस और जेजेपी की तरफ झुकाव दिखा सकते हैं, जिससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
- हालांकि, गैर-जाट किसानों का समर्थन बीजेपी को कुछ हद तक संतुलन में रख सकता है।
आने वाले चुनाव का संभावित समीकरण
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के समीकरण तेजी से बदल सकते हैं, खासकर निम्नलिखित कारकों के आधार पर:
- कांग्रेस का पुनरुत्थान
- कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव लाकर जाट और गैर-जाट वोटों को जोड़ने का प्रयास कर रही है।
- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की वापसी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ उनकी मजबूत पकड़ से पार्टी की स्थिति मजबूत हो रही है।
- बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल
- भाजपा ने हाल के वर्षों में हरियाणा में अपनी पकड़ बनाई है, लेकिन जाट समुदाय के असंतोष और किसानों के आंदोलन के बाद से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिल रही है।
- फिर भी, राम रहीम जैसे नेताओं के समर्थन और मौन मतदाताओं की भूमिका बीजेपी के पक्ष में जा सकती है।
- इनेलो और बसपा का गठबंधन
- इनेलो की पकड़ अब कमजोर हो चुकी है, लेकिन इनेलो और बसपा के गठबंधन का सीमित प्रभाव रह सकता है, खासकर दलित समुदाय पर।
- हालांकि, यह गठबंधन कांग्रेस और जेजेपी के वोटों को थोड़ा प्रभावित कर सकता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक स्थिरता और मतदाताओं के रुझानों को देखते हुए यह चुनाव बेहद प्रतिस्पर्धी और दिलचस्प होने वाला है। कांग्रेस, बीजेपी और जेजेपी जैसे प्रमुख दलों के बीच मुकाबला कड़ा होगा, लेकिन सीटों की संख्या और मौन वोटरों के फैसले से चुनावी परिणामों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
कैश और शराब की बरामदगी के आंकड़े (16 अगस्त – 30 सितंबर)
हरियाणा में 2019 चुनाव के दौरान उम्मीदवारों और पार्टियों द्वारा साम-दाम-दंड-भेद के विभिन्न तरीकों का उपयोग किया गया। चुनाव आयोग ने इस दौरान बड़ी मात्रा में कैश, शराब और ड्रग्स जब्त किए। नीचे दिए गए तालिका में विभिन्न जिलों से कैश और शराब की बरामदगी के आंकड़े दिए गए हैं:
जिला | बरामद कैश (रुपए) | बरामद शराब (लीटर) |
---|---|---|
फरीदाबाद | 5.65 करोड़ | 33 हजार |
गुरुग्राम | 5.33 करोड़ | – |
पानीपत | 2.32 करोड़ | – |
सिरसा | 1.92 करोड़ | – |
अंबाला | 1.50 करोड़ | 51 हजार |
करनाल | – | 62 हजार |
सोनीपत | – | 44 हजार |
झज्जर | – | 32 हजार |
कैश, शराब और ड्रग्स की कुल बरामदगी
- कुल कैश: ₹65.88 करोड़
- कुल शराब: 4.32 लाख लीटर (मूल्य: ₹15 करोड़)
- कुल ड्रग्स: ₹9.5 करोड़ की जब्त
महत्वपूर्ण रणनीति में बदलाव
2019 में जिन सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और जहां भाजपा के उम्मीदवार पिछड़ रहे थे, वहां भाजपा ने चुनाव के आखिरी दौर में एक विशेष रणनीति अपनाई। जिन सीटों पर इनेलो-बीएसपी, आम आदमी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार अच्छी स्थिति में थे, वहां भाजपा ने अंदरखाने उनकी मदद की। इस रणनीति का मकसद था कि तीसरे प्लेयर के रूप में ये उम्मीदवार भाजपा-विरोधी वोट बैंक को विभाजित करें, जिससे भाजपा को फायदा हो।
रणनीति का असर
- भाजपा ने यह रणनीति करीब दर्जनभर सीटों पर अपनाई, जिससे पार्टी को फायदा हुआ और चुनावी समीकरणों में बदलाव आया।
हरियाणा में 2019 चुनाव के दौरान कैश, शराब और ड्रग्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ। वहीं, भाजपा की रणनीति में बदलाव के चलते, जिन सीटों पर उनका प्रत्याशी कमजोर था, वहां तीसरे प्लेयर की मदद से भाजपा ने अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की।
पार्टियों के चुनावी वादे (हरियाणा 2024)
महिलाओं और कर्मचारियों के लिए वादे
पार्टी | वादे |
---|---|
कांग्रेस | – महिलाओं को ₹2,000 प्रतिमाह, ₹500 में सिलेंडर |
भाजपा | – महिलाओं को हर महीने ₹2,100 |
– बुढ़ापा, विधवा और दिव्यांग पेंशन ₹6,000 | |
– कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल | |
– हर घर गृहिणी योजना से ₹500 में सिलेंडर |
युवाओं, किसानों और गरीबों के लिए वादे
पार्टी | वादे |
---|---|
कांग्रेस | – युवाओं को 2 लाख सरकारी नौकरियां |
भाजपा | – युवाओं को 2 लाख पक्की नौकरियां |
– किसानों को 24 फसलों पर MSP की गारंटी | |
– 300 यूनिट बिजली मुफ्त | |
– चिरायु योजना के तहत ₹10 लाख तक का मुफ्त इलाज | |
– सरकारी अस्पताल में मुफ्त डायलिसिस | |
– गरीबों को 100 गज के प्लॉट | |
– हरियाणवी अग्निवीर को सरकारी नौकरी की गारंटी | |
– किसानों को मुआवजा और MSP की गारंटी |
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