Dalmia Sugar Mill Nigohi Crushing Session 2024: डालमिया चीनी मिल गिरगिचा में आज दोपहर 11 बजे से पेराई सत्र 2024 - 2025 की शुरुआत

Dalmia Sugar Mill Nigohi Crushing Session 2024: डालमिया चीनी मिल गिरगिचा में आज दोपहर 11 बजे से पेराई सत्र 2024 – 2025 की शुरुआत

Dalmia Sugar Mill Nigohi Crushing Session 2024: डालमिया चीनी मिल गिरगिचा में आज दोपहर 11 बजे से पेराई सत्र 2024 - 2025 की शुरुआत

Dalmia Sugar Mill Nigohi Crushing Session 2024: डालमिया ग्रुप की गिरगिचा (निगोही) स्थित मिल में मंगलवार से और बिरला ग्रुप की रोजा मिल में बुधवार से नया पेराई सत्र प्रारंभ होगा। इसे ध्यान में रखते हुए दोनों मिलों ने अपने-अपने क्षेत्रों के क्रय केंद्रों को व्यवस्थित कर लिया है। निगोही मिल प्रबंधन ने अपने क्षेत्र के क्रय केंद्रों पर गन्ने की खरीद सोमवार से शुरू कर दी है, जबकि रोजा मिल क्षेत्र के केंद्रों पर गन्ने की तौल मंगलवार से शुरू होगी। हालांकि, पहले दिन दोनों मिलों के कई केंद्र पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं हो सके और जहां खरीद प्रारंभ हुई, वहां गन्ने की आवक भी कम रही।

निगोही में गन्ना क्रय केंद्रों का संचालन, लेकिन सुविधाओं की कमी से परेशान किसान

निगोही। क्षेत्र में गन्ना क्रय केंद्रों के शुरू होने से किसानों के चेहरे पर रौनक आ गई है, लेकिन इन केंद्रों पर आवश्यक सुविधाओं की कमी से किसान परेशान हैं। भारी वर्षा के कारण धान की फसल नष्ट होने से क्षेत्र के कृषक काफी चिंतित हैं। गांव संडा खास, जिंदपुरा और अन्य क्षेत्रों में कुल 52 क्रय केंद्र खोले गए हैं।

संडा खास क्रय केंद्र पर पहले दिन 800 क्विंटल गन्ना तौल की पर्चियां जारी की गईं। हालांकि, गांव हरपरा निवासी ज्ञान देवी, संडा खास के आशीष अवस्थी और संतोष कुमार के लिए बमुश्किल 150 क्विंटल गन्ना ही तौल हो सका। वहीं, जिंदपुरा केंद्र पर 1400 क्विंटल गन्ने के विपरीत केवल 175 क्विंटल गन्ना ही आया।

गांव ऊनकलां के निवासी शकीलउद्दीन का कहना है कि उनकी पर्ची पर गन्ना तौल हुई है, लेकिन विभाग आवश्यकतानुसार पर्चियां जारी नहीं कर रहा है। इस स्थिति ने किसानों के मन में निराशा पैदा कर दी है, क्योंकि वे अपने उत्पाद की उचित कीमत और सुविधाओं की उम्मीद कर रहे थे।

किसान नेताओं ने अधिकारियों से अपील की है कि वे क्रय केंद्रों पर सुविधाओं को बेहतर बनाने और किसानों की समस्याओं का समाधान करने में तत्परता दिखाएं, ताकि कृषकों को उनके श्रम का उचित मूल्य मिल सके।