Chandu Champion Review: कबीर की कमजोर फिल्म 'चंदू चैंपियन' में कार्तिक आर्यन की मजबूत अदाकारी - The Chandigarh News
Chandu Champion Review: कबीर की कमजोर फिल्म 'चंदू चैंपियन' में कार्तिक आर्यन की मजबूत अदाकारी

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Chandu Champion Review: कबीर की कमजोर फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ में कार्तिक आर्यन की मजबूत अदाकारी

Chandu Champion Review: कार्तिक आर्यन ने अब तक बॉय नेक्स्ट डोर जैसे किरदार खूब किए हैं। ‘धमाका’ में उन्होंने कुछ नया करने की कोशिश की और विफल रहे। ‘फ्रेडी’ में उनका अभिनय कमाल का रहा, लेकिन इसे देखने वाले ही गिनती के रहे। करण जौहर ने जब उन्हें ‘दोस्ताना’ से निकाला था तो निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने उन्हें संभाला था। उन्हीं साजिद के साथ कार्तिक की दूसरी फिल्म है, ‘चंदू चैंपियन’।

Chandu Champion Review

Chandu Champion Movie Review: कोई इन्सान इतना मशहूर हो कि लोग उसके बारे में करीब-करीब सब जानते हों तो भला उस पर बनी फिल्म देखने कोई सिनेमाघर क्यों जाएगा? ‘पीएम नरेंद्र मोदी’, ‘मैं अटल हूं’, ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’, ‘धलाइवी’, ‘इंदु सरकार’ और ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ ऐसी ही बायोपिक हैं। दूसरी ओर, जिनके बारे में लोग कुछ नहीं जानते, उन पर बनी बायोपिक, मसलन- ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ और ‘महाराज’ आदि को ओटीटी के लिए सेफ माना जाता है। अगर कोई किरदार किताबों में आ चुका है तो वैसे किरदारों पर बनी ‘भाग मिल्खा भाग’ और ’12वीं फेल’ जैसी फिल्में उम्मीदें भी जगाती हैं। कार्तिक आर्यन की पहली बायोपिक ‘चंदू चैंपियन’ का तय नहीं है कि वह इनमें से किस श्रेणी की फिल्म हो सकती है।

‘चंदू चैंपियन’ कार्तिक आर्यन की फिल्म है और सिर्फ उनकी ही फिल्म है। वह यहां उन मुरलीकांत पेटकर के किरदार में हैं, जिन्होंने घर वालों से छुपकर दंगल सीखा। अखाड़े में गांव के CHAMPION दामाद को हराया तो गांव से भागना पड़ा। भागते-भागते फौजी बने। फौज में भर्ती हुए ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतने का सपना लेकर और जब गोल्ड मेडल मिला, तब तक उनके जिस्म में नौ गोलियां पैबस्त हो चुकी थीं। वह लंबे समय तक कोमा में रह चुके थे। कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह बेकार हो चुका था।

आत्महत्या की कोशिश कर चुके थे और जिस रतन खत्री की बायोपिक ‘मटका किंग’ दो दिन पहले प्राइम वीडियो के लिए नागराज मंजुले ने बनानी शुरू की, उसके जुए के धंधे यानी मटका पर सट्टा भी लगा चुके थे। थे। मुरलीकांत पेटकर की यह कहानी सुनने में वाकई बहुत रोचक है।

कहानी फिल्म में वहां से शुरू होती है, जहां बुजुर्ग मुरलीकांत थाने में भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ एफआईआर कराने पहुंचे हैं। भारत के किसी भी थाने या अदालत में भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ मुकदमा न लिखा जा सकता है और न ही चलाया जा सकता है। यह एक सम्मान है भारत के संविधान का अपने राष्ट्रपति के लिए। फिल्म हालांकि मौजूदा राष्ट्रपति के बजाय पूर्व राष्ट्रपतियों के नामों के साथ शुरू होती है, लेकिन फिल्म का यह टेकऑफ इसकी पहली बड़ी गलती है।

फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ की कहानी ऐसी है, जिसे फिल्मों में दिलचस्पी रखने वालों को तो छोड़िए, महाराष्ट्र की शख्सियतों के बारे में जानकारी रखने वालों को भी कम ही पता होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समाज के अनजान, लेकिन विलक्षण कार्य करने वाली शख्सियतों को पद्मश्री देने की मुहिम के दौरान ही मुरलीकांत पेटकर को पद्मश्री पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों मिला और निर्देशक कबीर खान ने भी यह फिल्म उसके बाद ही बनाने की तरफ ध्यान दिया।

‘सत्यप्रेम की कथा’ के बाद निर्माता साजिद नाडियाडवाला के साथ कार्तिक की यह दूसरी फिल्म है और कार्तिक ने इस फिल्म के लिए वाकई बहुत मेहनत की है। सोशल मीडिया पर तैरती फोटोशॉप की हुई फोटो पर न भी जाएं तो भी फिल्म में कार्तिक की मेहनत साफ नजर आती है। दिक्कत बस यह है कि फिल्म में उन्हें सहारा देने वाला कोई दूसरा दमदार कलाकार नहीं है। यह फिल्म सिर्फ कार्तिक आर्यन की है और सिर्फ उन्हीं के लिए देखी जा सकती है।

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