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Ishwar Sahu: कल का मजदूर, आज विधायक

Ishwar Sahu: कल का मजदूर, आज विधायक

Ishwar Sahu को केंद्र सरकार ने Z+ सुरक्षा दी है, जिसके बाद उनकी सुरक्षा में कमांडो और पुलिसकार्मियों सहित, 22 जवान 24 घंटे साथ रहेंगे तेज तर्रार आईपीएस श्री राजेश कुकरेजा ने विधायक Ishwar Sahu से भेंट कर उनकी सुरक्षा मुकम्मल की

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी ने 54 पर जीत दर्ज किया, तो वहीं कांग्रेस के खाते में 35 सीटें आई। एक सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी जीत हासिल की है। इस चुनाव में राज्य के डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव सहित कांग्रेस के 9 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। कई सीटों पर मुकाबला काफी दिलचस्प रहा और नतीजे चौंकने वाला थे। एक ऐसी ही सीट है बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा सीट।

Ishwar Sahu: कल का मजदूर, आज विधायक

7 बार के विधायक को हराकर Ishwar Sahu ने जीत हासिल की थी

कुछ दिनों पूर्व, जिनकी बात कलेक्टर और एसपी नहीं सुन रहे थे, उनसे वे अब खुद जाकर,फूल गुलदस्ता देकर बधाई दे रहे हैं। साजा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के सीनियर नेता और 7 बार के विधायक रविंद्र चौबे को हार का मुंह देखना पड़ा। चौकाने वाली बात यह है कि रविंद्र चौबे को जिसने हराया है ये उनका पहला चुनाव था। हम बात कर रहे हैं Ishwar Sahu की. भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी Ishwar Sahu 5 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस नेता रविंद्र चौबे को हरा दिया।

रविंद्र चौबे को 96, 593 वोट मिले, तो वहीं ईश्वर साहू को 1,071,89 वोट मिले। रविन्द्र चौबे ने राज्य सरकार में कृषि, पंचायत और संसदीय मंत्री रहते हुए चुनाव लड़ा 7 बार के विधायक रहे रविन्द्र चौबे टिकट पर इस बार 9वीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। वहीं, कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई करने वाले 42 वर्षीय ईश्वर साहू सहित पूरा परिवार पेशे से खेतिहर मजदूर है। चुनाव लड़ने से पहले तक जीवन यापन के लिए ईश्वर साहू नागपुर में सब्जी बेचने और रिक्शा चलाने का काम करते थे।

बेटे की सांप्रदायिक हिंसा में हुई थी मौत

8 अप्रैल 2023 को 2 स्कूली छात्रों में साइकिल चलाने को लेकर मामूली विवाद हुआ था। इसमें से एक हिंदू और दूसरा मुस्लिम समुदाय से था। गांव में दोनों ही समुदायों के बीच पहले से अलग-अलग मामलों को लेकर विवाद होता रहता था। ऐसे में 2 छात्रों के बीच के इस मामूली विवाद ने सांप्रदायिक रूप ले लिया। इसके बाद विवाद हिंसा में बदल गया और इसी में ईश्वर साहू के 22 वर्षीय बड़े बेटे भुवनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद गांव का माहौल तनावपूर्ण हो गया था।