Tarun Saxena suicide Case: झांसी, उत्तर प्रदेश: हाल ही में एक दुखद घटना ने काम के दबाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर एक गंभीर चर्चा शुरू कर दी है। 42 वर्षीय तरुण सक्सेना, जो बजाज फाइनेंस में एरिया मैनेजर के रूप में काम कर रहे थे, ने नौकरी के दबाव और अपने सीनियर्स के रवैये के चलते आत्महत्या कर ली। उनकी आत्महत्या ने एक बार फिर से उस समस्या को उजागर किया है, जिसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है: काम का तनाव और मानसिक स्वास्थ्य।
Tarun Saxena suicide Case: तरुण ने अपने परिवार को छोड़ा और अपनी नोट में लिखा, “45 दिनों से सोया तक नहीं हूं। मुश्किल से कुछ खा पा रहा हूं। सोचने समझने की शक्ति नहीं रही है। मैं बहुत स्ट्रेस में हूं…” इस संदेश ने उनके मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता को उजागर किया। वह अपने सीनियर्स के व्यवहार से बहुत परेशान थे और काम के दबाव के कारण वह खुद को असहाय महसूस कर रहे थे।
तरुण की आत्महत्या की पृष्ठभूमि में उनके सीनियर्स द्वारा की गई प्रताड़ना का मुद्दा है। उन्होंने अपने नोट में आरोप लगाया कि उनकी कंपनी उनसे ऐसे वसूली का दबाव बना रही थी, जिसे वह पूरा नहीं कर पा रहे थे। उनके सीनियर्स उन्हें लगातार धमकी दे रहे थे कि उनकी सैलरी काट ली जाएगी। इसके अलावा, उन्हें नौकरी से निकाले जाने का डर भी था।
तरुण ने अपने परिवार को भी अपने सीनियर्स के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने के लिए कहा था। अपने बच्चों की स्कूल फीस का जिक्र करते हुए उन्होंने माफी भी मांगी, यह दर्शाते हुए कि वह अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कितने चिंतित थे।
बजाज फाइनेंस ने इस मामले पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह चुप्पी चिंता का विषय है। एक के बाद एक ऐसी दुखद घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। यह समय है कि हम इस पर गहराई से सोचें और समझें कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।
हमारे काम के माहौल में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यह केवल व्यक्तिगत कल्याण का मामला नहीं है; यह समाज के स्वास्थ्य का भी प्रश्न है। हम सभी को इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
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