तिरुअनंतपुरम की तेज गर्मी और भारी उमस के बीच उद्योग जगत और राज्यसभा के सहारे लोकसभा के मैदान में जमीनी लड़ाई के लिए उतरे केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर कांग्रेस के पंजे और सीपीएम के लाल झंडे के सामने मजबूती से खड़े हैं। कांग्रेस के 68 वर्षीय शशि थरूर की विद्वता और सीपीएम के पूर्व राज्य सचिव 79 वर्षीय पन्नयम रविंद्रन की विचारधारा के सामने उद्योग जगत में अपनी पहचान बनाने वाले 50 वर्षीय चंद्रशेखर तिरुअनंतपुरम के लोगों और खासकर युवाओं के सामने खुद को जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
शशि थरूर के लगातार तीन बार जीतने और उसके पहले 2004 में इसी सीट से पन्नयम रविंद्रन की जीत को चुनौती मानने के बजाय चंद्रशेखर खुद के लिए अवसर के “रूप में देख रहे हैं। चंद्रेशखर कहते हैं कि तिरुअनंतपुरम की जनता ने रविंद्रन और थरूर को जिताकर देख लिया। पिछले 20 सालों में इन्होंने क्षेत्र के विकास और समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया। मैं एक मौका मांग रहा हूं, जो इन दोनों ने 20 साल में नहीं किया, वह करके दिखाऊंगा।
राजीव चंद्रशेखर को पूरा दिन तिरुअनंतपुरम के विभिन्न मुहल्लों की गलियों में अपने वाहन पर खड़े हाथ हिलाते हुए, नमस्कार करते हुए देखा जा सकता है। सुबह आठ बजे कार्यकर्ताओं के साथ पूरे दिन के कार्यक्रम की अंतिम रुपरेखा तय करने के बाद चंद्रशेखर 9.15 बजे जनसंपर्क अभियान के लिए निकल पड़ते हैं, जो 10 बजे तक चलता है। इस बीच विशिष्ट समूहों के साथ मुलाकात भी करते हैं ताकि सभी समुदायों और वर्गों तक अपनी बात पहुंचा सकें। शुक्रवार को एक बजे के बाद केवल 45 मिनट के लिए भोजन का अवकाश लेने के बाद चंद्रशेखर नेशनल प्रोग्रेसिव पार्टी (एनपीपी) के कार्यक्रम में पहुंचते हैं। एनपीपी राजग गठबंधन का हिस्सा है और इसका गठन पूर्व कांग्रेसियों ने पिछले वर्ष किया था। प्रचार अभियान के दौरान एनपीपी के झंडा-बनैर स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।
एनपीपी मुख्यरूप से ईसाई समुदाय के बीच काम करती है। ध्यान देने की बात है कि तिरुअनंतपुर में 13 प्रतिशत ईसाई वोट हैं। इसके बाद चंद्रशेखर ने इंस्टीट्यूट आफ इलेट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (आइईईई) के प्रतिनिधियों के साथ मिलते हैं और तिरुअनंतपुरम के विकास के लिए अगले पांच सालों का रोडमैप भी पेश करते हैं। इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रोनिक्स क्षेत्र में काम करने वाले दुनियाभर के इंजीनियरों का संगठन है।
दोपहर बाद तीन बजे से राजीव चंद्रशेखर का जनसंपर्क अभियान फिर शुरू हो गया, जो शाम छह बजे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के रोड-शो का हिस्सा बन गया। नड्डा का रोड शो खत्म होने के बाद जनसंपर्क अभियान फिर शुरू हुआ जो रात 10 बजे तक जारी रहा। इसके बाद उन्होंने एक टीवी चैनल को विस्तृत साक्षात्कार दिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं के साथ बैठककर अगले दिन के चुनाव प्रचार की रूपरेखा की।
पहली बार चुनावी मैदान में आने के अनुभव के बारे में पूछने पर राजीव चंद्रशेखर कहते हैं कि भले ही वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इसके पहले कर्नाटक और तेलंगाना में पार्टी के कई नेताओं के लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
जनसंपर्क का है अलग तरीकाः
चंद्रशेखर का जनसंपर्क अभियान भी खास तरीके से डिजाइन किया गया है। सबसे आगे एक वाहन नगाड़े व ढोल बंजाता हुआ चलता है। इससे उस इलाके में उनके आने की अग्रिम जानकारी मिल जाती है। खुले वाहन में घूमते हुए चंद्रशेखर युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं और यहां तक बच्चों को भी अभिवादन करते हैं। बीच-बीच में कुछ बच्चे कमल का फूल (भाजपा का चुनाव चिह्न) लेकर खड़े हैं, जो चंद्रशेखर को सौंप देते हैं। कुछ जगहों पर ज्यादा लोग खड़े होते हैं, तो वाहन रोककर चंद्रशेखर माइक संभाल लेते हैं और तिरुअनंतपुरम, केरल और देश के विकास के लिए भाजपा और राजग को वोट देने की अपील करते हैं।
राज्य में उपस्थिति दर्ज कराती रही है भाजपा:
केरल में भले ही अब तक कमल नहीं खिला हो, पर तिरुअनंतपुरम में भाजपा 1989 से ही उपस्थिति दिखाने में सफल रही है। 2014 व 2019 में 31 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी। 2004 में भारी मतों जीतने वाली सीपीएम तीसरे स्थान पर खिसक गई। 2014 में भाजपा के राजगोपाल 15 हजार वोटों से हार गए थे, जबकि 2019 में, भाजपा के कुम्मानम राजशेखरन एक लाख से भी कम वोटों से हारे थे।
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