2020 में गलवान घाटी में LAC पर 15-16 जून की रात में भारतीय और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प हुई। इस संघर्ष में भारत ने एक कमांडर समेत 20 सैनिकों को खो दिया था। इस झड़प को लेकर अब एक नया अपडेट आया है।

गलवान घाटी में हिंसक झड़पों के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी) पर तेजी से तैनाती के लिए भारतीय वायुसेना द्वारा 68,000 से अधिक सैनिको, लगभग 90 टैंक और अन्य हथियार प्रणालियों को देशभर से पूर्वी लद्दाख में पहुंचाया गया था।रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दशकों में दोनो पक्षों के बीच 15 जून, 2020 को हुई सर्वाधिक गंभीर सैन्य झड़पों की पृष्ठभूमि में भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू विमानों के कई स्कॉडर्न को तैयार स्थिति में रखने के अलावा दुश्मन के जमावड़े पर चौबीसो घंटे निगरानी तथा खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए अपने एसयू -30 एमकेआई और जागुआर लड़ाकू विमान को क्षेत्र में तैनात किया।
वायुसेना की रणनीतिक एयरलिफ्ट क्षमता पिछले कुछ वर्षो में कैसे बढ़िया है, इसका जिक्र करते हुए सूत्रों ने कहा कि एक विशेष अभियान के तहत एल ए सी के साथ विभिन्न दुर्गम क्षेत्रों में त्वरित तैनाती के लिए वायुसेना के परिवहन बेड़े द्वारा सैनिकों और हथियारों को बहुत कम समय के अंदर पहुंचाया गया था। उन्होंने कहा कि बढ़ते तनाव के चलते वायुसेना ने चीन की गतिविधियों पर पौनी नजर रखने के लिए क्षेत्र में बड़ी संख्या में रिमोट संचालित विमान आर.पी.ए भी तैनात किए थे।
वायुसेना के विमानों ने भारतीय सेना के कई डिविजन को एयरलिफ्ट किया, जिसमे 68000 से अधिक सैनिक, 90 से अधिक टैंक, पैदल सेना के 330 बी एम पी लड़ाकू वाहन, रडार, तोपें और कई अन्य साजो सामान शामिल थे। उन्होंने कहा कि वायुसेना के परिवहन बेड़े द्वारा 9,000 टन की ढूलाई की गईं और यह वायुसेना की बढ़ती रणनीतिक एयरलिफ्ट क्षमताओ को प्रदर्शित करती है। इस कवायद में सी 130जे सुपर हरक्यूलिस और सी 17 ग्लोबमास्टर विमान भी शामिल थे।
चीन – पाक बॉर्डर पर इजरायली ड्रोन तैनात
भारत ने चीन – पाकिस्तान बॉडर पर एडवांस्ड हेरोन मार्क-2 ड्रोन तैनात किया है। ये इजरायली ड्रोन लॉन्ग रेंज मिसाइलों से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। इसके अलावा एक ही उड़ान में चीन – पाकिस्तान दोनों सीमाओं की निगरानी भी कर सकता है। हेरोन मार्क-2 ड्रोन इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने बनाए है। इनसे एक ही उड़ान में कई मिशन को अंजाम दिया जा सकता है और एक साथ कई सेक्टरों पर निगाहे राखी जा सकती है।
एक दिन पहले ही इंडियन एयरफोर्स ने श्रीनगर एयरबेस पर एडवांस्ड मिग -29 फाइटर जैट की स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर पंकज राणा ने बताया – हेरोन मार्क-2 बहुत सक्षम ड्रोन है। यह लम्बे समय तक टिकने में सक्षम है। मॉडर्न एवियोनिक्स और इंजन की वजह से ड्रोन का ओप्रेशनल टाइम बड़ा है।
ये सैटेलाइट उपग्रह संचार से भी लैस है और टारगेट की २४ घंटे निगरानी करने में सक्षम है। हेरोन मार्क २ ड्रोन फिटर जेट्स की भी मदद करते है। ये अपने टारगेट पर लेजर लाइट डालते है, जिससे फाइटर एयरक्रॉफ्ट टारगेट को पहचान कर उस पर सटीक निशाना साध सके।
गरुड़ की 2 टीम कश्मीर व् लद्दाख में तैनात
भारतीय वायु सेना के विशेष बल गरुड़ की 2 टीम को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में अभियानों के साथ -साथ आतंकवाद विरोधी अभियान के लिए कश्मीर घाटी में भी तैनात किया गया है। गरुड़ इकाई के कमांडिंग ऑफिसर के अनुसार गरुड़ विशेष बालो ने कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों का अभ्यास करते हुए कई अभियान चलाए। अत्यधिक प्रशिक्षित वायुसेना के गरुड़ विशेष बलों को शुरुआत में वर्ष 2007 एवं 2009 में घाटी में तैनात किया गया था इसके उपरांत वर्ष 2017 में इनकी पुनः तैनाती की गयी थी।
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