योगी आदित्यनाथ ने दावा यूपी में राजनीतिक संघर्ष मंदिर-मस्जिद और बौद्ध मंदिरों तक पहुंच गया है। यूपी सरकार के मंत्री रघुराज सिंह के बयान से शुरू हुए विवाद ने अब उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यन के आगमन से ही बहस की धारा बदल दी है। ज्ञानवापी को लेकर सीएम योगी ने क्या कहा?
लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति मंदिर-मस्जिद और बौद्ध मठ पर आ गई है। यूपी सरकार के मंत्री रघुराज सिंह के बयान से शुरू हुए मंदिर-मस्जिद और बौद्ध मठ की बहस में अब योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो गए हैं। योगी आदित्यनाथ के आगमन ने सिर्फ इस राजनीतिक लड़ाई में बहस का रुख बदल दिया है।
योगी आदित्यनाथ ने ANI की वरिष्ठ पत्रकार स्मिता प्रकाश से ज्ञानवापी का हवाला देते हुए कहा कि अगर मैं उसे मस्जिद कहूँगा तो बहस होगी। जिसको भगवान ने दृष्टि दी है, वह देखे। वहाँ त्रिशूल क्या कर रहा है? हमने नहीं रखे। ज्योतिर्लिंग और देव प्रतिमाएं वहाँ हैं उसको भी किसी ने तो नहीं रखा है । दीवारें क्या कह रही हैं? मुझे लगता है कि मुस्लिम पक्ष यह कहना चाहिए कि साहब ने ऐतिहासिक गलती की है और इसका समाधान होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब देश में ज्ञानवापी प्रकरण के बाद मंदिर-मस्जिद-बौद्ध मठ को लेकर विवाद चल रहा है। बीजेपी के प्रमुख नेता खुलकर कुछ भी कहने से बचते रहे हैं और संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इस मुद्दे से दूर रहे हैं। ऐसे में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान का राजनीतिक अर्थ क्या है?
योगी आदित्यनाथ ने 2024 का एजेंडा सेट कर दिया
ज्ञानवापी को लेकर दिए गए बयान से, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2024 के चुनावों के लिए रणनीति बनाई है। राम मंदिर का उद्घाटन 2024 के जनवरी महीने में होना है। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की कोई तय तारीख नहीं है, लेकिन मंदिर ट्रस्ट ने कहा कि 15 से 25 जनवरी के बीच शुभ मुहूर्त में रामलला को मंदिर में विराजमान किया जाएगा।
योगी ने ज्ञानवापी का दांव चल दिया है, जबकि राम मंदिर के उद्घाटन के समय और इसके लोकसभा चुनाव पर प्रभाव की चर्चा चल रही थी। CM योगी के हाल के बयान से स्पष्ट है कि बीजेपी अब वाराणसी के ज्ञानवापी मुद्दे को उठाने की कोशिश करेगी और राम मंदिर निर्माण को अपनी उपलब्धि बताएगी। बीजेपी का लक्ष्य 2024 के चुनाव में विपक्षी पार्टियों को हिंदुत्व की ओर आकर्षित करना होगा।
पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक की काट के लिए मास्टर स्ट्रोक
बीजेपी ने 2024 में यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 2014 में बीजेपी ने 71 और 2019 में 62 सीटें जीतीं। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी को हराने के लिए पीडीए का आह्वान किया। पीडीए का अर्थ है पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक। अखिलेश यादव ने कहा कि पीडीए ही एनडीए को हरा सकता है।
बीजेपी भी जानती है कि यूपी की कठिन जातीय व्यवस्था उसके लिए कठिन हो सकती है। इसलिए पार्टी ने ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को फिर से अपने साथ जोड़ा। एनडीए में पहले से ही कुर्मी और निषाद समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली अपना दल (एस) और डॉक्टर संजय निषाद की निषाद समाज पार्टी शामिल थीं। योगी ने अब यूनिफाइड हिंदू वोटबैंक को पीडीए से बाहर निकालने के लिए ज्ञानवापी का दांव चलाया है।
विधानसभा चुनाव 2022 में सफल रहा था प्रयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। बीजेपी ने इस रणनीति को सफलतापूर्वक लागू किया, जिससे पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की और लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। तब बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि अयोध्या और काशी-मथुरा आस्था के मुद्दे हैं, नहीं चुनाव। हम उन्हें संवार रहे हैं, इसलिए तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले विरोधी पक्ष घबरा रहे हैं।
जाने कैसे शुरू हुआ मंदिर-मस्जिद विवाद
योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रघुराज सिंह ने कहा कि मुगलों ने हमला कर करीब चार लाख मंदिरों को मस्जिद बना दिया था। इन्हें हिंदू समाज में वापस लाना चाहिए। देश में शांति-सद्भाव कायम रखने का जिम्मा सिर्फ हिंदुओं का नहीं है। विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर रघुराज हर मस्जिद में मंदिर खोजेंगे तो लोग हर मस्जिद में बौद्ध मंदिर खोजने लगेंगे। उनका दावा था कि बदरीनाथ मंदिर भी बौद्ध मठ है।
क्या ज्ञानवापी पे दिया योगी आदित्यनाथ के बयान से पार लगेगी बीजेपी की चुनावी नैया
ज्ञानवापी विवाद पिछले कुछ समय से चर्चा में है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल हुए और उसे पूरा किया। हमें अब कुछ नहीं करना चाहिए। हम प्रत्येक दिन एक मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखते हैं? विरोध क्यों बढ़ाना चाहिए? बीजेपी नेता भी ज्ञानवापी पर बोलने से बचते रहे हैं।
अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस बहस में शामिल हो गए हैं। CM योगी ने एक तरह से दावा किया कि ज्ञानवापी मंदिर था, जिसमें त्रिशूल, दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र और ऐतिहासिक गलती शामिल हैं।
More Stories
Robin Uthappa EPF Fraud: Former Indian cricketer Robin Uthappa has been issued a warrant over EPF fraud allegations.
Arvind Kejriwal is to be Prosecuted in Delhi Liquor Policy Case; AAP Denies Allegations
Narendra Modi Vist Kuwait: PM Modi Embarks on Historic Visit to Kuwait After 43 Years